एम.ए. फाइनल दूजौ पेपर

 इण पेपर रो नांव ''मध्‍यकालीन एवं प्राचीन गद्य'' राखीज्‍यो है। इण मांय 'अचलदास खीची री वचनिका', 'राजस्‍थानी साहित्‍य संग्रह', 'कुंवरसी सांखलो', अर 'जगदेव परमार री वात' चार पोथ्‍यां भेळी है।
हरेक पोथी सूं एक सवाल आवै। हरेक सवाल रै अथवा मांय एक सवाल हुवै। इण गत एक पोथी मांय सूं दो सवाल आवै जिण मांय सूं परीक्षार्थी छांट'र एक सवाल करै।

हरेक सवाल 25 अंक रो हुवै। इण गत पूरो पेपर 100 अंक रो हुयो। जको तीन घंटां मांय हल करणो हुवै।


बीकानेर विश्‍वविद्यालय  रा कीं लारली सालां रा पेपर-

2007 
1. अचलदास खीची री वचनिका रौ आधार ऐतिहासिक है कै काल्‍पनिक ? प्रमाणां साथै आपरै मत नै पुख्‍ताऊ करावौ।
अथवा
''अचलदास खीची री वचनिका में वीर रस रै साथै वात्‍सल्‍य अर करूण रस रौ सांतरौ चितराम मंडीजियौ है अर ठौड़-ठौड़ सिवदास गाडण रै सामीं भगती रा एहलांण पण मिळै।'' इण कथन नै पठित पुस्‍तक सूं औपता उदाहरणां देवतां हुया समझावौ।

2. राजस्‍थानी वर्णक साहित्‍य रौ परिचय देवतां थंका 'खींचीं गंगेद नींबावतरो दो-पहरौ' री विशेषतावां रो उदाहरण सैंती खुलासौ करौ।
अथवा
'राजान राउत रो वात वणाव' गद्य रचना रै आधार पांण मध्‍यकालीन राजस्‍थानी सामंती जीवन री ओळखांण करावौ।

3. कुंवरसी सांखळो रौ कथासार पेश करतां हुया कुंवरसी सांखळै री चारित्रिक विशेषतावां नै उदाहरणां सैती समझावौ।
अथवा
कुंवरसी सांखळौ आख्‍यायिका नीं हुय'र एक लघु उपन्‍यास है।' इण कथन सूं आप कठै ताणी सहमत हो? खुलासौ करावौ।

4. आप जगदेव परमार री वात नै एतिहासिक रचना मानौ कै लोक रचना ? आपरै पड़ूतर नै तर्कां सागै समझावौ।
अथवा
जगदेव परमार री वात रै विविध रूपांतरां रौ उल्‍लेख करता थकां उण री विशेषतावां रो बरणाव करौ।

2008
1. अचलदास खीची री वचनिका रै काव्‍य-सौंदर्य नै उजागर करौ।
अथवा
वचनिका रै कथा नायक रौ चरित्र चित्रण करौ।

2. संग्रह मांय तत्‍कालीन समाज री सामंतवादी व्‍यवस्‍था रौ चित्रण मिलै। इण बात रौ सांगोपांग खुलासौ करौ।
अथवा
'आखड़ी' अर 'विरद' किणनै कैवै ? इणरौ खुलासौ करतां थकां 'रामदास वैरावत' री आखड़यां रौ वरणन करौ।

3. कुंवरसी सांखलो री नायिका भारमल री चारित्रिक विशेषतावां बतावौ।
अथवा
कुंवरसी सांखलो री तात्विक समीक्षा करौ।

4. जगदेव परमार री वात रै आधार माथै जगदेव रै गुणां रो बखाण करो।
अथवा
राजस्‍थानी वातां री विशेषतावां रो बखाण करता थकां जगदेव परमार री वात री समीक्षा करौ।

2009
 1. राजस्‍थानी वचनिका परम्‍परा रो परिचय देंवतां थकां 'अचलदास खीची री वचनिका' री विशेषतावां नै समझावौ।
अथवा
अचलदास खीची री वचनिका री साहित्यिक कूंत करतां थकां कृति रै इतिहासू आधार रो खुलासो करो।

2. 'राजान राउत रो वात वणाव' रै आधार माथै मध्‍यकालीन राजस्‍थानी गद्य री विशेषतावां री ओळखाण करावो।
अथवा
राजस्‍थानी वर्णक साहित्‍य रो परिचय देंवतां थकां 'खींची गंगेव नींबावत रो दो-पहरौ' री विशेषतावां रो उदाहरण सेती खुलासो करो।

3. कुंवरसी सांखलो रो कथासार लिखता थकां कुंवरसी सांखलै री चारित्रिक विशेषतावां नै उदाहरण-सेती समझावौ।
अथवा
कुंवरसी सांखलो रचना री साहित्यिक कूंत करो अर बतावो के आ रचना आख्‍यायिका है, का एक लघु उपन्‍यास ?

4. जगदेव परमार री वात रै आधार माथै मध्‍यकालीन राजस्‍थानी संस्‍कृति रो सरूप उजागर करौ।
अथवा
जगदेव परमार री वात नै इतिहासू रचना मानी जावै का लोक रचना ? आपरै पड़ूतर नै उदाहरण-सैती समझावौ।