राजस्थानी भासा री संवैधानिक मान्यता नै लेय'र लारलै बरसा मांय घणा कारज हुया है। उण कारजां मांय राजस्थानी री विधिवत भणाई रो पांवडो खास महताऊ है। राजस्थानी स्कूली भणाई सूं कटगी अर ओ इज कारण रैयो कै इण रो ग्यान स्कूली पढ़ाकां नै कमती होंवतो गयो। ओ तो भलो हुवै जण रो जकै राजस्थानी नैं जींवती राखी। जन जकी नै धारण कर लेवै उण नै कुण मिटा सकै। राजस्थानी भासा रै साथै जण रो हेत सरावण जोग है।
साथै ई सरावण जोग है राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर अर राजस्थान रा कैयी विश्वविद्यालय जका आपरै पाठयक्रम मांय राजस्थानी नै किणी न किणी भांत लागू कर राखी है। राजस्थानी नै माध्यमिक शिक्षा बोर्ड री दसवी क्लास मांय तीजी भासा रै रूप मांय ली जा सकै। इंयां ई 11वीं अर 12वीं मतळब जूनियर अर सीनियर आर्टस फैकल्टी मांय एक विसय रै रूप मांय राजस्थानी ली जा सकै।
रैयी बात विश्वविद्यालयां री तो राजस्थानी एक-आध विश्वविद्यालय नै छोड'र राजस्थान रै सगळै विश्वविद्यालयां (डीम्ड विश्वविद्यालयां मांय इज है) मांय भणाइजै।
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर राजस्थानी पेटै खास गढ़ मानीजै। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर अर बीकानेर विश्वविद्यालय, बीकानेर ई आपरै पाठ्यक्रम मांय राजस्थानी नै भेळी राखी है।
इण सूं अळगा जनार्दनराय नागर मान्य विश्वविद्यालय, उदयपुर रो राजस्थानी भासा भणाई पेटै खास योगदान है।
इण विश्वविद्यालयां मांय बी.ए. रै एक विसय रै रूप मांय राजस्थानी भेळी है वठै ई एम .एम .राजस्थानी मांय करी जा सकै है। हरख री बात है कै एम ए हिन्दी रै एक पेपर रूप मांय ई राजस्थानी भासा ली जा सकै है।
बीकानेर विश्वविद्यालय, बीकानेर
बीकानेर विश्वविद्यालय, बीकानेर थरपणा सूं पैली इण रो छेतर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर रै नीचै हो। इणी कारणै नुंवै विश्वविद्यालय (जगत पोसाळा) मांय पाठ्यक्रम ज्यूं रो त्यूं राखीज्यो।
बगत बायरै सारू कीं बदळाव जरूर करीज्या पण हाल ही घणा बदळाव हुवणा बाकी है।
हाल बीकानेर विश्वविद्यालय, बीकानेर (महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर) रै एम.ए. रै पाठ्यक्रम रो अठै जिक्र करां।
बीकानेर विश्वविद्यालय मांय एम.ए. पैली साल मांय 4 पेपर अर दूजै अर आखरी साल मांय 5 पेपर है। उणां मांय पाठ्यक्रम इण भांत है-
एम.ए.पूर्वार्द्ध-
1. आधुनिक राजस्थानी काव्य
इकाई—1 : वीर सतसई : सूर्यमल्ल मीसण
इकाई—2 : बादळी : चंद्रसिंह
इकाई—3 : राधा : सत्यप्रकाश जोशी
इकाई—4 : लीलटांस : कन्हैयालाल सेठिया
2. आधुनिक राजस्थानी गद्य
इकाई—1 : बुगचो : मूलदान देपावत
इकाई—2 : आज री राजस्थानी कहाणियां : संपादक— रावत सारस्वत, रामेश्वरदयालश्रीमाली
इकाई—3 : तास रो घर (नाटक) : यादवेन्द्र शर्मा चंद्र
इकाई—4 : मैवै रो रूंख(उपन्यास) : अन्नाराम सुदामा
3. राजस्थानी भाषा एवं साहित्य का इतिहास
इकाई—1 : भाषा एवं लिपि सामान्य सिद्धांत
इकाई—2 : राजस्थानी भाषा : उद्भव और विकास परंपरा
इकाई—3 : राजस्थानी साहित्य : आदिकाल
इकाई—4 : राजस्थानी साहित्य : मध्यकाल
इकाई—5 : राजस्थानी साहित्य : आधुनिक काल
4. राजस्थानी लोक साहित्य एवं संत साहित्य
इकाई—1 : लोक साहित्य : लोक एवं मानस: परिचय,परिभाषा, लोकतत्व
इकाई—2 : लोक साहित्य : सामान्य परिचय एवं वर्गीकरण
इकाई—3 : लोककथा, लोकगीत, लोकगाथा
इकाई—4 : राजस्थानी लोक देवी—देवता
इकाई—5 : राजस्थानी संत एवं संत संप्रदायों का सामान्य परिचय
इकाई—1 : वीर सतसई : सूर्यमल्ल मीसण
इकाई—2 : बादळी : चंद्रसिंह
इकाई—3 : राधा : सत्यप्रकाश जोशी
इकाई—4 : लीलटांस : कन्हैयालाल सेठिया
2. आधुनिक राजस्थानी गद्य
इकाई—1 : बुगचो : मूलदान देपावत
इकाई—2 : आज री राजस्थानी कहाणियां : संपादक— रावत सारस्वत, रामेश्वरदयालश्रीमाली
इकाई—3 : तास रो घर (नाटक) : यादवेन्द्र शर्मा चंद्र
इकाई—4 : मैवै रो रूंख(उपन्यास) : अन्नाराम सुदामा
3. राजस्थानी भाषा एवं साहित्य का इतिहास
इकाई—1 : भाषा एवं लिपि सामान्य सिद्धांत
इकाई—2 : राजस्थानी भाषा : उद्भव और विकास परंपरा
इकाई—3 : राजस्थानी साहित्य : आदिकाल
इकाई—4 : राजस्थानी साहित्य : मध्यकाल
इकाई—5 : राजस्थानी साहित्य : आधुनिक काल
4. राजस्थानी लोक साहित्य एवं संत साहित्य
इकाई—1 : लोक साहित्य : लोक एवं मानस: परिचय,परिभाषा, लोकतत्व
इकाई—2 : लोक साहित्य : सामान्य परिचय एवं वर्गीकरण
इकाई—3 : लोककथा, लोकगीत, लोकगाथा
इकाई—4 : राजस्थानी लोक देवी—देवता
इकाई—5 : राजस्थानी संत एवं संत संप्रदायों का सामान्य परिचय
एम.ए. उतरार्द्ध -
1. मध्यकालीन एवं प्राचीन राजस्थानी काव्य
इकाई—1 : रणमल्ल छंद : श्रीधर व्यास
इकाई—2 :हाला झाला रा कुण्डलिया : ईसरदास
इकाई—3 : वेलि किसण रूकमणी री : पृथ्वीराज राठौड़
इकाई—4 : मीरा वृहद् पदावली
2. मध्यकालीन एवं प्राचीन गद्य
इकाई—1 : अचलदास खींची री वचनिका
इकाई—2 : राजस्थानी साहित्य संग्रह
इकाई—3 : कुंवरसी सांखलो
इकाई—4 : जगदेव परमार री बात
3. काव्यशास्त्र एवं पाठालोचन
इकाई—1 : भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्रीय सिद्धांतों का अध्ययन (साहित्य का स्वरूप एवं विवेचन, भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टि, साहित्य के तत्व, काव्य की मूल प्रेरणा और प्रयोजन)
इकाई—2 : विभिन्न काव्यरूपों का अध्ययन(रस सिद्धांत : रस निष्पत्ति, साधारणीकर, अलंकार संप्रदाय, वक्रोक्ति सिद्धांत : स्वरूप और भेद, ध्वनि सिद्धांत : ध्वनि का अर्थ और भेद/
अरस्तू के काव्य सिद्धांत : अनुकृति सिद्धांत, विरेचन सिद्धांत एवं काव्यरूपों का विवेचन/ क्रोंचे का अभिव्यंजनावाद/ आई.ए. रिचर्डस के काव्य सिद्धांत : मूल्य सिद्धांत)
अरस्तू के काव्य सिद्धांत : अनुकृति सिद्धांत, विरेचन सिद्धांत एवं काव्यरूपों का विवेचन/ क्रोंचे का अभिव्यंजनावाद/ आई.ए. रिचर्डस के काव्य सिद्धांत : मूल्य सिद्धांत)
इकाई—3 : राजस्थानी काव्यशास्त्र और छंदशास्त्र का अध्ययन (राजस्थानी छंदशास्त्र का परिचय, अलंकार, काव्य दोष)
इकाई—4 : पाठालोचन के सिद्धांत एवं पाठ संपादन की प्रक्रिया का अध्ययन (पाठालोचन की परिभाषा, स्वरूप और सिद्धांत)
4. विशिष्ट साहित्यकार
ईसरदास बारहठ/ महाराजा चतुरसिंह/ गणेशलाल व्यास उस्ताद (कोई एक)
5.निबंध या लघु शोध प्रबंध -
नियमित विद्यार्थी जिनके पूर्वार्द्ध में 55 प्रतिशत से अधिक नंबर है, लघु शोध प्रबंध लिख सकते हैं। स्वयंपाठी एवं अन्य विद्यार्थियों के लिए एक विकल्प रखा गया है। 'निबंध' पेपर के रूप में। उनको इस पेपर में 'निबंध' लिखना होता है। पेपर में 10 निबंध दिये होते हैं, जिनमें से परीक्षार्थी को एक विषय पर निबंध लिखना होता है।
:::: प्रत्येक पेपर 100 अंक का होता है। उत्तीर्ण होने के लिए एक पेपर में कम से कम 20 अंक और कुल प्राप्ताकों का योग 36 प्रतिशत होना जरूरी है। 48 प्रतिशत से द्वितीय श्रेणी और 60 प्रतिशत से प्रथम श्रेणी प्राप्त होती है।